‘लस्ट स्टोरीज 2’ चार कहानियों का बंडल है जिसमे भरा है कहानी, इच्छाएं और अरमान। हिंदुस्तान के 4 बेहरतीन डायरेक्टर्स की काबिलियत के मद्दे-नज़र हम इस एन्थोलॉज़ी फिल्म का अपना और देसी रिव्यु आपके सामने लाये है। आप सभी को जोड़ते है इस सिनेमा की चौकस चर्चा में।
चार मस्त रापचिक सेक्सी बातों से भरपूर कहानियां उठाओ और फिल्म हो गयी रेडी। नेटफ्लिक्स पर आयी ‘लस्ट स्टोरीज 2‘ भी 4 कहानियों का फार्मूला है। चार बेहतरीन डायरेक्टर्स आर बल्कि, सुजॉय घोष, कोंकणा सेन और अमित आर शर्मा की कहानियों से बनी है ये ‘लस्ट स्टोरीज़ २’।
पहली कहानी : शादी से पहले टेस्ट ड्राइव लेलो
मृणाल ठाकुर और अंगद बेदी की शादी होने वाली है। अल्ट्रा कूल दादी (नीना गुप्ता) दोनों को शादी से पहले टेस्ट ड्राइव लेने की सलाह देती है। नीना गुप्ता इस डिस्कशन को करते हुए कतई बिंदास दादी वाला रूप दिखती है। शादीशुदा जीवन को सुखी बनाये रखने के लिए सेक्स भी एक सबसे जरुरी चीज़ है। इस कहानी में नीना गुप्ता का कहना है “36 के 36 गुण मिले न मिले अगर दोनों में सेक्स अच्छा है तो शादीशुदा जिंदगी एकदम खुशहाल रहती है”। एक तरफ इस तरह का सवाल पूछा जाना कुछ बड़ो को शर्मिंदा भी करता है और यंग जनरेशन को कूल लगता है। मृणाल ठाकुर,अंगद बेदी और नीना गुप्ता तीनो ही मंझे हुए कलाकार है और तीनो ने अपने किरदार को बखूबी परदे पर उतारा है।
यह कहानी उस दोगली सोच पर प्रहार करती है, जिसमें बच्चों की शादी तो धूमधाम से करवायी जाती है और वंश बढ़ाने की सलाह भी दी जाती है, मगर जब सेक्स लाइफ से जुड़ी दिक्कतों पर बात करने का मौका आता है तो एक हिचक इस समाज में साफ देखी जाती है। आर बाल्की ने कहानी को दिलचस्प और जिम्मेदारी के साथ संभाला है, जिससे ह्यूमर की परत बनी रहती है। इस कहानी की हीरो नीना गुप्ता ही हैं।
दूसरी कहानी : झुग्गी की रात दिन में बिल्डिंग के एसी में एन्जॉय करती है
फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज 2’ की सेकंड कहानी को कोंकणा सेन शर्मा ने निर्देशित किया है। किस्सा दो महिलाओं का है। एक कॉरपोरेट जगत में है और माइग्रेन से परेशान है, दूसरी अपनी झुग्गी की गरीबी वाली जिंदगी से। हाई सोसायटी से आती इशिता( तिलोत्मा) एक दिन अपने कमरे में अपनी हाउस हेल्प अमृता को इंटीमेट होते हुए छिपकर देख लेती है। पहले शॉक हुई तिलोत्मा की अब यह रोजाना रूटीन बन जाती है। कहानी में ट्वीस्ट यह है कि उनकी हाउसहेल्प को भी इस बात की खबर होती है और इस चीज को वो इंजॉय भी करती है।
बहुत ही खूबसूरती से दोनों ही स्थितियों को अपने फ्रेम में दर्शा जाती हैं। हालांकि यहां कोंकणा अपने लीड किरदार इशिता को एक्सप्लोर करने में चूक कर जाती है हालांकि दोनों ही एक्ट्रेसेज ने एक्टिंग इतनी बेहतरीन की है कि यह ऐपिसोड देखते वक्त कब वक्त निकल जाता है, उसका एहसास नहीं होता है।
तीसरी कहानी : तमन्ना का बोल्ड अवतार
फिल्म के तीसरे हिस्से की कहानी विजय वर्मा और तमन्ना भाटिया को डेडिकेट है. यहां विजय का कार एक्सीडेंट होता है और वो बाहर इलाके से भागता हुआ एक कस्बे की ओर पहुंचता है। जहां उसे अपनी एक्स वाइफ शांती (तमन्ना) मिलती है। शांती पिछले दस साल से गुमशुदा है। विजय जब उससे मिलता है, तो उससे उसके अचानक से गायब होने का कारण पूछता है. ऐसे में शांती बताती है कि उसकी प्रेजेंट वाइफ का हाथ है। जिससे सुनकर विजय शॉक्ड हो जाता है और अपनी वाइफ से बदला लेने की ठानता है। तभी आता है एक ट्विस्ट।
विजय और तमन्ना, दोनों की कैमिस्ट्री अच्छी लगी है, मगर कहानी बांधकर नहीं रख पाती। न ही इस फिल्म को विजय की एक्टिंग बचा पाती है और न ही तमन्ना भाटिया का ग्लैमरस अंदाज। औसत में सिमट कर कहानी रह जाती है।
चैथी कहानी : काजोल की एंट्री
आखिरी कहानी का निर्देशन अमित रविंद्रनाथ शर्मा ने किया है। काजोल और कुमुद मिश्रा मुख्य किरदारों में हैं। दूसरी स्त्रियों पर नजर रखने वाले पितृसत्ता के लम्बरदार पति के किरदार में कुमुद का अभिनय बेहतरीन है। इस किरदार के जरिए अमित(डायरेक्टर) ने महिलाओं के साथ होने वाली ज्यादतियों पर टिप्पणी की है। उदयपुर के एक राजा के घर में ब्याही काजोल का पति कुमुद मिश्रा से परेशान है। रोजाना पीकर आकर गालियां देना, मारपीट करना और जबरन सेक्स करने से परेशान हो चुकी हैं।
काजोल की ख्वाहिश है कि वो अपने बेटे को लंदन ले जाकर पढ़ाना चाहती हैं. हालांकि उनकी इस ख्वाहिश में पति रोढ़ा बनता है. ऐसे में वो अपने पति से छुटकारा पाने के लिए एक गहरी साजिश रचती है। अब वही चाल काजोल पर कैसे उलटी पड़ जाती है, ये फिल्म देखकर ही पता चल पाएगा।