|| हर हर महादेव ||
कानपूर में बाबा भोलेनाथ के पवन दर्शन हम कही मंदिरो में करते है जैसे शिवालय मंदिर, जागेश्वर मंदिन , आनंदेश्वर धाम और भी कई पवन स्थानों पर भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन को जाते है। उन्ही में से एक नाम आता है भूतेश्वर मंदिर का।
भूतेश्वर मंदिर कल्याणपुर के आवास विकास क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि प्राचीन मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में किया था, इसलिए मंदिर का नाम बाबा श्री भूतेश्वर धाम पड़ा। मंदिर में पवित्र श्रावण मास के दिनों में हजारों की संख्या में भक्त महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। श्रावण मास के साथ महाशिवरात्रि और नागपंचमी पर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यहां पर देशभर से भक्त पूजन अर्चन के लिए आते हैं।
इतिहास में है इस मंदिर के राज : मान्यता है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है और इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था। लोगों का विश्वास है कि यहां विराजमान भगवान भूतेश्वर अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का संबंध भगवान श्रीराम के समय से है। सृष्टि के प्रत्येक काल चक्र में भगवान शिव की मौजूदगी रही है और हर काल में भगवान शिव की स्तुति, आराधना और उनकी अनुकंपाओं की अनेक कहानियां प्रचलित हैं। सभी युगों में भगवान शिव की महिमा गाई गई है।
इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर में मुगल बादशाह औरंगजेब ने तोड़फोड़ की थी। भूतेश्वर मंदिर में टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष आज भी मौजूद हैं। जिस कारण से ऐसा लगता है कि औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला किया था।भूतेश्वर महादेव मंदिर में दो सुरंगे भी थीं जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी। रावतपुर की रानी रौतेला इन्ही सुरंगों से भूतेश्वर महादेव की पूजा करने आती थीं। रानी रौतेला बहुत सुन्दर थीं। उन्हें कोई देख न सके इसलिए रावतपुर राजा ने रानी के लिए दो सुरंगों का निर्माण कराया था जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं।
मनोकामनाओं को पूर्ण करता है ये मंदिर : मान्यता है कि ऐसा शिवलिंग पूरे भारतवर्ष में नहीं है। राजा विनायक राव ने कई बार खोदाई कर शिवलिंग के अंतिम छोर का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन शिवलिंग का छोर नहीं मिला। मंदिर में महादेव के साथ शिव परिवार, शनि महाराज, संकट मोचन धाम, राधाकृष्ण, मां भगवती, काली माता और विष्णु भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर कच्ची मिट्टी के ईंटों से निर्मित है।
वहीं ऐसी मान्यता है कि जो भी युवक-युवतियां यहां भगवान शिव से अपने विवाह की मनोकामना के लिए फरियाद करते हैं भगवान उनकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी करते हैं। भूतेश्वर मंदिर के महन्त महाराज गिरी ने बताया कि मंदिर हजारों साल पुराना है। भगवान राम ने जब सीता माता का परित्याग कर दिया था तब यहां सीता माता लव और कुश के साथ बिठूर में रहती थीं और प्रतिदिन भगवान भूतभावन महादेव की पूजा के लिए आती थीं। भगवान राम से मिलन की इच्छा से ही माता सीता ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी।
क्षेत्र के लोगों का भूतेश्वर महादेव में असीम और अटूट विश्वास है। लोगों का मानना है कि भूतेश्वर बाबा किसी की भी मनोकामना को बाकी नहीं छोड़ते सभी भक्त बाबा के दरबार से प्रसन्न होकर जाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं। भूतेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन सुबह पांच बजे महादेव की आरती होती है जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं।
श्रावण मास में महादेव का शृंगार पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सोमवार को महादेव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। – संतोष गिरि, पुजारी।
प्राचीन मंदिर का शिवलिंग भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहता है। यहां पर श्रावण मास के सोमवार को मेले जौसा नजारा देखने को मिलता है। भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। – बाल किशन गुप्ता, सेवक।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। सत्यदर्पण इसकी पुष्टि नहीं करता है।)