Eye Flu UP 2023: कानपुर में हो रहे मौसम के बदलाव की वजह से लोगो में कंजक्टिवाइटिस की दिक्कत होने लगी है। हैलेट और उर्सला के ओपीडी में नेत्र दोष से ग्रसित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मंगलवार को एलएलआर ( हैलेट अस्पताल) में करीब 300 और उर्सला अस्पताल की नेत्र रोग ओपीडी में 150 मरीज कंजक्टिवाइटिस की समस्या लेकर पहुंचे।
बच्चों में इस संक्रमण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में 80 प्रतिशत बच्चे रहे। मंगलवार को ओपीडी में आंखों में लालपन, जलन, सुर्खी और संक्रमण की समस्या लेकर पहुंचे मरीजों की लंबी-लंबी कतार रही।
क्या होता है कंजक्टिवाइटिस?
हमारी आंखों में एक पारदर्शी पतली झिल्ली, कंजक्टिवा होती है जो हमारी पलकों के अंदरूनी और आंखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करती है, इसमें सूजन आने या संक्रमित होने को कंजक्टिवाइटिस या आंख आना कहते हैं। जब कंजक्टिवा की छोटी-छोटी रक्त नलिकाएं सूज जाती हैं, तब ये अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगती हैं और आंखों का सफेद भाग लाल या गुलाबी दिखने लगता है। इसलिए इसे पिंक आई भी कहा जाता है। कंजक्टिवाइटिस की समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वाइरस के संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है। छोटे बच्चों में टियर डक्ट (अश्रु नलिका) के पूरी तरह खुला न होने से भी अक्सर पिंक आई की समस्या हो जाती है। यह एक अत्यंत संक्रामक स्थिति है, इसलिए इसका तुरंत उपचार जरूरी है।
संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?
कंजक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है, इसके अलावा इन बातों का ध्यान भी रखें:
- अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं।
- जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं।
- अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
- अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज़ धोएं।