Explainer : मालदीव भारत से शत्रु बन जाएगा! यह देश पर्यटन ही नहीं, इन क्षेत्रों पर भी निर्भर है

भारत से पर्यटक मालदीव नहीं जाएंगे तो देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। भारत से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव आते हैं। 2023 में सबसे ज्यादा 2,09,198 भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे। ताजा बहस के बाद, मालदीव और लक्षद्वीप को सोशल मीडिया पर बायकॉट किया गया है।

lakshdeep

अब मालदीव की मुइज्जू सरकार गिर गई है। PM Modi की लक्षद्वीप यात्रा पर विवादित टिप्पणी को लेकर मुइज्जू सरकार ने तीन डिप्टी मिनिस्टर्स को बर्खास्त कर दिया है। मालदीव सरकार ने इन कथनों से पूरी तरह इनकार कर दिया है और व्यक्तिगत विचारों को अपनाया है। वास्तव में, मुइज्जू सरकार को भारत से घृणा करने के लिए मालदीव में ही व्यापक विरोध शुरू हो गया है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को बेवकूफ बताया है। उनका कहना था कि मंत्री मरियम शिउना की भाषा खराब थी। ये सब सबूत हैं कि मालदीव चीन के दबाव में आकर भारत से युद्ध नहीं कर सकता। भारत पर्यटन पर निर्भर है।

भारत से टूरिस्ट नहीं गए तो हो जाएगा बर्बाद

मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है। टूरिज्म इस देश की अर्थव्यवस्था का २9 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं पर्यटन क्षेत्र फॉरेन एक्सचेंज का 60% योगदान देता है। मालदीव पर्यटन विभाग ने बताया कि 2023 में यहां आए पर्यटकों में सबसे अधिक भारतीय थे। रूसी और चीनी पर्यटकों का अगला स्थान है। 2023 में सबसे ज्यादा 2,09,198 भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे। ताजा बहस के बाद, मालदीव और लक्षद्वीप को सोशल मीडिया पर बायकॉट किया गया है। हजारों भारतीयों ने मालदीव के लिए अपने विमान और होटल टिकट बुक कर लिए हैं। मालदीव में टूरिज्म सबसे बड़ा रोजगार स्रोत है। यहां पर्यटन रोजगार में एक तिहाई से अधिक योगदान देता है। साथ ही, पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों को भी शामिल करने पर पर्यटन लगभग 70% कुल रोजगार में योगदान देता है। अब समझ लीजिए कि अगर भारतीयों ने मालदीव छोड़ दिया तो पर्यटन उद्योग बर्बाद हो जाएगा। इसलिए अब मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई है।

मालदीव में कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में लगा है पैसा

भारत ने मालदीव में कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में धन लगाया है। नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट, मालदीव में भारत का अब तक का सबसे बड़ा ग्रांट प्रोजेक्ट है। 222.98 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने इसका उद्घाटन किया। भारत सरकार भी हुकुरु मिस्की की बहाली को माले में 8.95 करोड़ रुपये की भारतीय ग्रांट के तहत मदद कर रही है। प्रधानमंत्री ने जून 2019 में इसकी घोषणा की थी।

भारत से जाते हैं खाने के सामान

मालदीव भारत से चावल, फल, सब्जियां, पोल्ट्री उत्पादों और मसाले खरीदता है। भारत से मालदीव फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग और औद्योगिक उत्पाद भी खरीदता है। वहीं भारत स्क्रैप धातु मालदीव से आयात करता है। 2021 में, भारत मालदीव के तीसरे सबसे बड़े व्यापारी बन गया।

मालदीव के साथ व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है

पिछले कुछ वर्षों में भारत का मालदीव के साथ व्यापार तेजी से बढ़ा है। मालदीव कस्टम सर्विस के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2018 में 28.61 करोड़ डॉलर का मालदीव निर्यात किया और 30.1 करोड़ डॉलर का आयात किया था। यह क्रमशः बढ़ा। 2022 में भारत ने मालदीव से 64.2 लाख डॉलर का आयात किया और 49.54 करोड़ डॉलर का निर्यात किया। 2023 में सिंतबर तक भारत का मालदीव को 41.02 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। इसके अलावा, आयात 61.9 लाख डॉलर था। हाल ही में हुई बहस से इन आंकड़ों में कमी आने की आशंका है। मालदीव की अर्थव्यवस्था इससे बहुत प्रभावित होगी।

मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारतीयों का योगदान

मालदीव में लगभग २६०० भारतीय रहते हैं। ये लोग मालदीव की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारतीय कंपनी एफकॉन्स ने 2021 में मालदीव का सबसे बड़ा इंफ्रास्क्चर प्रोजेक्ट ग्रेटर माले कनेक्टिविटी बनाया। इसके अलावा, भारत ने मालदीव को कई बार मदद की है। भारत सरकार ने 1988 में ऑपरेशन कैक्टस की कोशिश को नाकाम करने में मालदीव सरकार की मदद की थी। 2014 में ऑपरेशन नीर ने मालदीव को पेयजल उपलब्ध कराया था। वहीं, कोविड-19 के दौरान मालदीव को दवाईयां दी गईं।