किसानों के पास टमाटर बचा नहीं, कीमतें अभी और बढ़ेंगी?
टमाटर. सब्जियों का जरूरी इंग्रेडियेंट, सलाद की प्लेट का चटख हिस्सेदार. अचानक बहुत महंगा हो गया है (Tomato Price Hike). न्यूज़रूम के हमारे एक साथी कल शाम आधा किलो टमाटर लाए 60 रुपए में. एक किलो के दाम पूछे तो सब्जी विक्रेता ने कहा 10 रुपये कम कर देंगे. ये हाल देश के कई हिस्सों में है. एक किलो टमाटर की कीमत सैकड़ा पार है.
खुदरा बाजार में टमाटर की कीमत 80 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है. वहीं थोक बाजार में टमाटर 65 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है. ये महंगाई चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि मई महीने में टमाटर के दाम बेहद कम हो गए थे. इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टमाटर 3 से 5 रुपए किलो बिक रहा था. अचानक आई इस महंगाई की दो ख़ास वजहें हैं.
मानसूनी बारिश
दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी के टमाटर व्यापारी अशोक इकॉनमिक टाइम्स से बात करते हुए बताते हैं कि बीते दो दिनों में दिल्ली में टमाटर के दाम दोगुने हो गए हैं. पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सप्लाई कम हुई है. इसलिए अब हम बेंगलुरु से टमाटर ला रहे हैं. टमाटर के जो पौधे जमीन पर थे वो बारिश की वजह से बर्बाद हो गए. सिर्फ वही पौधे बचे हैं जो तारों के सहारे पर बढ़ रहे थे.
टमाटर की कीमतों के संबंध में हमने कृषि पत्रकार अरविंद शुक्ला से बात की. वो कहते हैं,
“टमाटर की पैदावर के दो सीजन हैं. जून से लेकर अगस्त-सितंबर तक हमेशा टमाटर के रेट बढ़ते हैं. और ये पहली बार नहीं है. मानसून की वजह से इन महीनों में टमाटर की पैदावार कम होती है. देश के कई इलाकों में ज्यादा बारिश के चलते फसल बर्बाद होती है.”
दाम गिरने से दाम बढ़े?
आप कहेंगे अजीब बात है. लेकिन जब बीते दिनों टमाटर के दाम अचानक बहुत गिर गए थे, तो परेशान किसानों ने टमाटर की फसल अपने हाल पर छोड़ दी. महाराष्ट्र के नासिक से खबर आई कि किसानों ने मंडी समिति के सामने टमाटर सड़क पर फेंक दिए.
महाराष्ट्र में नारायणगांव इलाके में टमाटर की खेती होती है. इस इलाके के एक किसान अजय बेल्हेकर ने अखबार को बताया कि टमाटर की कीमत कम थी इसलिए किसानों ने फसलों पर खाद और उर्वरक वगैरह का इस्तेमाल नहीं किया. इसके चलते खर-पतवार और कीड़ों की वजह से उत्पादन घट गया.
इधर अरविंद ने हमें बताया,
“बीते सर्दियों के सीजन में टमाटर की कीमतें बहुत कम रहीं और जब किसानों को एक फसल में नुकसान होता है तो वो अगली फसल कम कर देते हैं. 10 एकड़ में टमाटर उगाने वाला किसान अगले सीजन 5 एकड़ या हो सकता है उससे भी कम टमाटर उगाए. वो इसकी जगह कोई और फसल उगाने लगते हैं.”
अरविंद ये भी कहते हैं कि टमाटर की फसल बहुत संवेदनशील होती है. ‘लेट ब्लाइट’ और ‘अर्ली ब्लाइट’ जैसे फंगस की वजह से होने वाले रोग लग जाते हैं. और जब टमाटर सस्ता होता है तो किसान उतनी देखभाल नहीं करते. जिसकी वजह से इसके दाम गिरते हैं.
क्या सस्ता होगा टमाटर?
हाल-फिलहाल टमाटर के दाम घटने की उम्मीद भी कम है. अरविंद कहते हैं कि अगर दिल्ली में बेंगलुरु से टमाटर आएगा तो भी उसके रेट बहुत जल्दी कम होने की उम्मीद नहीं है. अब किसान के पास ज्यादा फसल बाकी नहीं है. अरविंद के मुताबिक, इन बढ़े दामों से किसानों को भी कोई ख़ास फायदा नहीं है.
वो कहते हैं,
“बीती एक जून तक टमाटर बहुत सस्ता था. अचानक एक हफ्ते में बढ़ गया. 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक्री होने पर किसान को करीब 35 रुपए मिलते हैं. अब किसान के पास ज्यादा टमाटर नहीं बचा है. वो ज्यादातर फसल की बिक्री गिरे दामों पर कर चुका है. ऐसे में अगर उसकी फसल का कुछ हिस्सा महंगा भी बिकता है तो उससे संभव है कि कुछ घाटा कवर हो जाए. बढ़ी हुई कीमत से किसान को बहुत फायदा हो जाएगा ऐसा नहीं कहा जाना चाहिए.”
मानसून की वजह से बढ़ी महंगाई RBI के लिए भी चिंता का विषय है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने हालिया बयानों में बढ़ती महंगाई को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इसके पीछे मानसून को बड़ी वजह बताया था. इस पर अरविंद शुक्ल कहते हैं कि सरकार बढ़ती कीमतों को थामने के लिए क्या कदम उठाती है, ये देखने वाली बात होगी.