भारत का एक युवा पायलेट जिसको राजनीति में नहीं आना था। जिसकी दुनिया उनकी नौकरी और फॅमिली थी अचानक से एक दुखद हादसे के बाद बदल गयी। राजनीति में कभी नहीं आने की चाह रखने वाले, मजबूरी में देश के प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे युवा नेता थे राजीव गांधी। 20 अगस्त 1944 को मुंबई में जन्में इस युवा नेता का आज 79वां जन्मदिन है। आज के दीं को हम सद्भावना दिवस के रूप में मानते है।
पेशे से पायलट राजीव बहुत ही सौम्य और शांत स्वभाव के थे। राजीव ने उज्जवल उन्नत भारत बनाने का सपना देखा ही नहीं बल्कि उसे पूरा करने के लिए आगे भी बढ़े। वो राजीव ही हैं जिन्होंने देश में टेलीफोन और कंप्यूटर क्रांति लाने की पहल की थी।
राजनीती में नहीं आना चाहते थे
भाई संजय की अचानक मृत्यु के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और मां इंदिरा की हत्या के बाद वे मजबूरी में ही प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गांधी 40 की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के पहले प्रधानमंत्री थे।उन्होंने एक झटके में देश को 21वीं सदी का सबसे उज्जवल देश बनाने की ओर कदम बढ़ाया था।
आसान नहीं था सत्ता को संभालना
वे जब सत्ता में आए तब पंजाब, असम और मिजोरम हिंसा में जल रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब और दिल्ली में सिख विरोधी दंगे हो रहे थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव ने राजनीति, पार्टी और देश में कई बदलाव किए। इसमें कोई शक नहीं कि राजीव गांधी ने दूरदर्शी नेता के रूप में देश को सूचना क्रांति की नई ईबारत लिख कर दी। चुनावी रैलियों में सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए लोगों से मिलना उनका शगल था। जब भी वो भाषण के दौरान “हमें देखना हैं” कहते थे तो उनकी बातें देश के लोगों को उम्मीद से भर देती थीं।
युवा शक्ति से दी नयी राह
उन्होंने देश में ही क्रांति के लिए बदलाव नहीं किए बल्कि कांग्रेस को भी युवा पार्टी के जोश से भर दिया। यही वजह रही कि कुछ ही दिनों में कई युवा नेता पार्टी के नए चेहरे बन कर उभरे..जिनमें माधव राव सींधिया, राजेश पायलट, ऑस्कर फर्नाडिस, गुलाम नबी आजाद, शैलजा और अंबिका सोनी जैसे कई युवा चेहरे शामिल हैं।
तकनीकी और दूरदृष्टि के थे राजीव गाँधी
राजीव का विज्ञान और तकनीक पर खासा जोर था। वे टेलीकॉम और सूचना क्रांति के सूत्रधार बने। हर घर तक टेलीफोन पहुंचाने का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। 1991 तक देश रंगीन टेलीविजन, कंप्यूटर और इंपोर्टेड ऑटोमोबाइल से लैस था। भारतीय अर्थव्यवस्था को उछाल भी राजीव के कार्यकाल में ही मिला था। भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का पहला कदम भी राजीव गांधी के कार्यकाल में ही शुरू किया गया था।
दल बदल कानून और 18 वर्ष में वोटिंग का अधिकार जैसे नियम राजीव के कार्यकाल में ही पारित हुए। आज जिन नियमो की चर्चा अक्सर होती है वो भी राजीव गाँधी के कार्यकाल में बने थे।सूचना क्रांति के साथ राजीव गांधी ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी एलान किया था। जवाहर नवोदय विद्यालय जिसमें आज लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं वो राजीव गांधी की सोच का ही नतीजा थी।
घोटाले के आरोपों ने भी घेरा
राजीव का राजनीतिक सफर बहुत आसान नहीं रहा। शुरू शुरू में तो उन्हें मिस्टर क्लीन माना गया लेकिन बाद में बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा, जो आज तक बरकरार है। इस आरोप में उनके साथ सुपरस्टार और उनके बचपन के साथी अमिताभ बच्चन का नाम भी शामिल था। वैसे राजीव के कार्यकाल की कई बार आलोचना भी हुई जिसमें श्रीलंका में तमिल मुद्दों को ठीक ढंग से हल नहीं करने का आरोप भी लगा।
वो धमाका जिसने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की जान लेली
और उसी आरोप ने 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्री पेरेम्बदूर में एक आत्मघाती हमले के दौरान उनकी जान ले ली। जनता के बिच में सहज ही जाने वाले राजीव को माला पहनाने एक लड़की आगे बढ़ रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने उसको रोका पर जनता के प्यारे राजीव ने उस बच्ची को आने दिया। उस मानव बम लड़की ने राजीव को माला पहनायी और जोर के धमाके के साथ राजीव गाँधी की मौत हो गयी।