महालक्ष्मी व्रत कथा, इस कथा के पाठ से घर में होगा मां लक्ष्मी का वास

महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह में रखा जाता है। यह 16 दिनों तक चलता है। इसबार महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है और अगले 16 दिनों तक यानी 4 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान महा लक्ष्मी व्रत रख रहे हैं तो इसक कथा पढ़ना आपके लिए बेहद जरुरी है। यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की कथा।

महालक्ष्मी व्रत कथा

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह दिन प्रतिदिन भगवान विष्णु की आराधना करती थी। भगवान विष्णु उसकी भक्ती से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी प्रिय भक्त को दर्शन दिए। साथ ही ब्राह्मणी ने कहा कि तुम्हें जो वरदान मांगना है तुम मांग सकते हो। जब ब्राह्मणी ने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वह चाहती है कि उसके घर में मां लक्ष्मी का वास हो जाए।

इसके बाद भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मणी को अपने घर में मां लक्ष्मी को बुलाने की तरीका बताया। भगवान विष्णु ने बताया कि तुम्हारे घर से कुछ ही दूरी पर जो मंदिर है वहां एक स्त्री आती है और वहां आकर वह उपले थापती है। तो तुम्हें उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना होगा। वहीं, मां लक्ष्मी है। ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु के कहें अनुसार ही किया। ब्राह्मणी ने उस स्त्री को अपने घरा आने का निमंत्रण दिया। तब मां लक्ष्मी ने उस ब्राह्मणी से कहा कि वह 16 दिन के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करें। मां लक्ष्मी के कहे अनुसार, ब्राह्मणी ने 16 दिन तक मां लक्ष्मी की उपासना की। मां लक्ष्मी ने फिर उस ब्राह्मणी को आशीर्वाद दिया और उसके घर में निवास किया। तभी से जो व्यक्ति भाद्रपद महीने में महालक्ष्मी की इन 16 दिनों तक उपासना करता है मां लक्ष्मी उससे प्रसन्न होकर उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि

सबसे पहले एक चौकी पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें। ध्यान रखें की मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें।

इसके बाद थोड़ा से चावल डालकर लक्ष्मी जी के पास कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर एक नारियल में कपड़ा बांधकर रखें।

इसके बाद गणेशजी की और चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह और षोडश मातृका के बीच स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।

साथ ही ग्यारह दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर, कुमकुम, सुपारी, पान, फूल,,,, दूर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर, कपूर, हल्दी, धूप, अगरबत्ती। इसके बाद विधा विधान के साथ पूजन करें। सबसे पहले कथा का पाठ करें अंत में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आरती करें।