लखनऊ में वर्कशॉप में सिखाई जा रही चिकनकारी:सीखने पहुंच रहे कई युवा; राज्य संग्रहालय में दूसरे दिन घास-पत्तियों की कढ़ाई सिखाई

राज्य संग्रहालय में चिकनकारी सीखने की वर्कशॉप में युवाओं का जमकर रुझान है। 9 दिवसीय वर्कशॉप के दूसरे दिन भी कई युवा पहुंचे। उन्हें कपड़े पर टेपची, पेचनी, कील, फंदा बनाना सिखाया गया। घास-पत्तियों की कढ़ाई की कला सिखाई गई। यह वर्कशॉप राज्य संग्रहालय, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड और अवध चिकनकारी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है, जो 12 मार्च तक चलेगी। रॉयल ड्रेस से आम कपड़े तक चिकनकारी वर्कशॉप के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली की पूर्व क्यूरेटर डॉ. अनामिका पाठक ने चिकनकारी के इतिहास पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि इस कला के पुराने साक्ष्य और औपनिवेशिक काल में इंग्लैंड में चिकनकारी की प्रदर्शनी का महत्व बहुत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन की रॉयल ड्रेस से लेकर आम आदमी तक के कपड़ों में चिकनकारी का प्रयोग हो रहा है। यह कला सिर्फ फैशन तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए। कढ़ाई की बारीकियां सिखाईं कार्यशाला में कोलकाता से आए विशाल साहा ने भी अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि ऐसी कार्यशालाएं न केवल अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर देती हैं, बल्कि नए हुनर सीखने का भी एक बेहतरीन तरीका होती हैं। जामदानी कला पर रिसर्च कर रहे विशाल ने कहा- लखनऊ संग्रहालय में आकर पुस्तकीय ज्ञान से ज्यादा समझ और अनुभव मिला है। भारतीय कारीगरी और कला को प्रोत्साहन मिला विशाल ने यह भी बताया कि इस प्रकार के प्रयास निश्चित रूप से संस्कृति और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह की दूरदर्शिता को प्रदर्शित करते हैं। उनकी सोच से ऐसे प्रयासों के जरिए भारतीय कारीगरी और कला को प्रोत्साहन मिल रहा है, जो न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो रही है।