मौलिक अधिकार किसी व्यक्ति के जीवन के लिए ज़रूरी हैं और इन्हें देश के संविधान में शामिल किया गया है. इन अधिकारों को भारत का मैग्ना कार्टा भी कहा जाता है. ये अधिकार, व्यक्तिगत आज़ादी की नींव रखते हैं|

 भारतीय संविधान में अनुच्छेद 12 से 35 मौलिक अधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 13 के तहत, अगर कोई कानून किसी मौलिक अधिकार के ख़िलाफ़ है, तो उसे शून्य और असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है|

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण · समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18  · स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22  · शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24  · धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार:अनुच्छेद 25 से 28  · सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार :   अनुच्छेद 29 से 30  · संवैधानिक उपचारों का अधिकार:अनुच्छेद 32.

मूल रूप से, भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की सात श्रेणियां थीं। बाद में     1978 में, 44वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा, संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) को मौलिक अधिकारों से हटा दिया गया कानूनी अधिकार बना दिया गया।

साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।