भारतीय विनिर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने 27 अक्टूबर 2014 को सबसे कम ₹2,989 करोड़ की बोली लगाकर आकृति, निर्माण तथा रखरखाव की जिम्मेदारी ली।
इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया।
3 माह लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया