ठग्गू के लड्डू कानपुर की एक प्रसिद्ध और प्रिय मिठाई है, जो शहर की समृद्ध पाक परंपरा का प्रतीक है। उसी प्रकार कानपुर की बोली जो कराती दिल और दिमाग को तरोताजा और अपनेपन का एहसास |

 

       भोकालियों का शहर जो जीते है रंगबाजी से  …ऐसे  कनपुरिया जुमले और शब्द, जिनसे कइयों को मिली शोहरत

कानपुर की स्थानीय भाषा के रौबीले शब्दों ने बॉलीवुड में ऐसी पहचान बनाई जो  कई फिल्मों में इस्तेमाल हुई है और इन फिल्मो का  कॉमेडी में अपना अलग स्थान बनाया आज भी तनु  वेड्स मनु में तनु  के कनपुरिया बोली अंदाज लोगो को बहुत पसंद आता है

शहर के शब्दों में इतना आकर्षण है कि उनकी वजह से छोटे पर्दे से लेकर बॉलीवुड तक कानपुर के मिजाजी शब्दों का ‘भौकाल टाइट’ होता जा रहा है। कई फिल्मों में ‘रंगबाज’ पात्र यहां की बोली बोलते नजर आते हैं। तनु वेड्स मनु, टशन, बुलेट राजा जैसी फिल्मों के डायलॉग आपको याद ही होंगे। आज कई चर्चित कॉमेडियन भी कानपुर के शब्दों के इस्तेमाल से स्टार बन गए हैं।

बड़ी रौबीली है कानपुरिया भाषा

साहित्यकारों के बीच बहस का मुद्दा है कि कथा, कहानी, उपन्यास में नई हिंदी का इस्तेमाल होना चाहिए या नहीं। ‘नई हिंदी’ का मतलब उस भाषा शैली से है, जो आजकल नए कलमकार इस्तेमाल कर रहे हैं। वह देशज या कहें कि स्थानीय आम बोलचाल के शब्दों को अपने लेखन में स्थान देते हैं। साहित्य में स्थान पाने के लिए शब्दों का यह संघर्ष देश के सभी क्षेत्रों में चल रहा है, लेकिन ‘कनपुरिया भाषा’ उससे अलग खड़ी इतरा रही है। वजह ये है कि यहां की अलहदा और रौबीली भाषा को किसी कलम की दरकार नहीं है।

 

अपनापन कानपुर की भाषा की मुख्य विशेषता है  –

“तुम सरऊ पेले जइयो।”

यहाँ पर यकीनन किसी को धमकी नही दे रहे बल्कि समझा रहे हैं।

कानपुर की भाषा के कुछ शब्द जो सिर्फ यहीँ सुनने को मिलेंगे अजीब सा अच्छा अहसास देते हैं।

कंटाप, झाड़ना, भौकाल, पउवा ऐसे न जाने कितने शब्द आपको चलते फिरते सुनने को मिलेंगे।ऐसे ही बहुत सारी मिठास भरी बातें हैं।

 

                                                           कानपुर के शब्द और चुलबुले अर्थ

           

-कंटाप : कनपटी पर थप्पड़ जडऩा
-भौकाल : जलवा या प्रतिष्ठा
-चौकस : बेहतरीन
-बकैत : अधिक बोलने वाला
-खलीफा : सर्वश्रेष्ठ
-बकलोली : फिजूल की बातचीत
-लभेड़ : अप्रिय परिस्थिति
-पौव्वा : जुगाड़ या पैठ
-चिकाई : किसी से मजाक करना
-चिरांद : उलझन पैदा करना या करने वाला

                                                        आम बोलचाल के कनपुरिया जुमले

-विधिवत मारेंगे और कौनौ मुरौवत न करेंगे।
-ज्यादा बकैती न करो।
-अबहिं मार मार के हनुमान बना देबे।
-टोपा हो का, दीहिस कंटाप।
-हपक के एक कंटाप धरा तो सारी रंगबाजी धरी रहि जहिये।
-ये मठाधीसी अपने पास ही धरो।
-भाई जी, अगले का भौकाल एकदम टाइट है।
-अबहीं झपडिय़ा दीन्ह जाइहौ तब पता चली कि पंजीरी कहां बटत रहे।
-अरे सरऊ काहे पचड़े में पड़त हौ अबहिं लभेड़ हुई जइहै।
-कुछ पल्ले पड़ रहा है कि ऐसे ही औरंगजेब बने हो।
-ज्यादा बड़ी अम्मा न बनौ।
-गुरु व्यवस्था तो फुल टन्न रही।
-हर जगह चिकाई न लिया करो।
-मार कंटाप शंट कर देंगे।

कनपुरिया हैं बे!  वो देसी डायलॉग, जो यहां को बनाये निराला शहर

 जब कोई मामला बिगड़ जाए और आपको इसकी ख़बर अपने दोस्तों को देनी हो तो आपकी ज़ुबान से जो पहले शब्द फिसलते हैं:

भाई मैटर हो गया

अगर आपको कोई बेवजह परेशान कर रहा हो या फ़िज़ूल की बातें कर रहा हो, आप उसे ये आख़िरी चेतावनी देते हैं:

कंटाप देंगे खींच के

जब आप किसी से सवाल कर रहे हों और वो कुछ भी जवाब न दे रहा हो:

मुँह में दही जमा लिया क्या

आप अपने पसंदीदा लोगों के कारनामों की तारीफ़ ऐसे करते हैं:

गरदा उड़ा दिये

जब आपको शक़ हो जाए कि आपका दोस्त इंसान की शक़्ल में जानवरों जितनी बुद्धि लिए घूम रहा है:

बैल हो का बे

अगर किसी को आपको अपना रुतबा दिखाना हो:

भोकाल दिखाए का

 जब किसी की ख़ुद की बड़ाईयाँ और कारनामों के क़िस्से ख़त्म ही ना हों:

बकैत हो का

जब दो दोस्तों की लड़ाई हो रही हो तो अनायास ही मुँह से निकलने वाले शब्द कुछ ऐसे होते हैं।

मारेंगे कम, घसीटेंगे ज्यादा।

पूरी दुनिया में लोगों की ‘पिटाई’ होती है, लेकिन कानपुर के लोग पलटकर ऐसा जवाब दे सकते हैं।

हौंक दिए जाओगे।

जब आप किसी कनपुरिये को परेशान कर रहे हों तो उसका जवाब आएगा

काहे चरस बो रहे हो बे हमाइ जिन्दगी में

फिल्मों और छोटे पर्दे पर भी छाया अंदाज

कानपुर की यह भाषा भले ही विशुद्ध रूप से स्थानीय है। व्याकरण के लिहाज से यह भले ही अशुद्ध हो, लेकिन इसका जादू मायानगरी मुंबई तक पहुंच चुका है। कई फिल्मों और धारावाहिकों में यहां की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है और फिर दर्शक उन्हें दोहराते हुए भी मिल जाएंगे। बॉलीवुड के मिस्टर खिलाड़ी अक्षय कुमार, सैफ अली खान, आमिर खान और जिमी शेरगिल कनपुरिया छोरे की भूमिका अदा कर चुके हैं।
इन फिल्मों में कानपुर का टशन : जॉली एलएलबी-2, टशन, तनु वेड्स मनु-1, तनु वेड्स मनु-2, बंटी और बबली, दबंग-2, साईं वर्सेज आई, कटियाबाज, देसी कट्टे, बाबर, हंसी तो फंसी, होटल मिलन, मरुधर एक्सप्रेस, भैया जी सुपरहिट।
इन धारावाहिकों में कानपुर की झलक : कृष्णा चली लंदन, ‘शास्त्री सिस्टर्स, भाबी जी घर पर हैं, लापतागंज, जीजा जी छत पर हैं, हर शाख पर उल्लू बैठा है, नीली छतरी वाले, ऑफिस-ऑफिस।
मायानगरी में छा गए कॉमेडियन
कानपुर के कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, राजीव निगम, राजन श्रीवास्तव, , जीतू गुप्ता, अनिरुद्ध मद्धेशिया और अन्नू अवस्थी अब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वह सिर्फ इसीलिए कॉमेडियन बन सके क्योंकि विशुद्ध कनपुरिया भाषा पर उनकी मजबूत पकड़ और अंदाज मजाकिया है।

 

RAJI-SRIVASTAVAकॉमेडी किंग : राजू श्रीवास्तव  

राजू श्रीवास्तव अब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वे कई फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। राजू और कॉमेडी अब एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। उनका कहना है कि हमारी मिट्टी ही ऐसी है कि इसमें अपनापन झलकता है। जब हम गुस्से में बोलते हैं तो भी भाषा नरम रहती है और सामने वाला हंस देता है। गाली भी मीठी लगती है। कानपुरिया भाषा में बेजा बनावटीपन की बजाय अपनापन है जो सभी को आकर्षित करता है।

 

 

         एक ऑडियो ने बनाया स्टार

अन्नू अवस्थी बताते हैं कि 19 नवंबर 2017 की रात घर में लेटा था। बेटे के जनेऊ संस्कार को लेकर मोबाइल पर किसी से चैट कर रहा था। तभी पत्नी ने आकर कहा कि सो जाओ, तभी मजाक-मजाक में ही जनेऊ संस्कार का आमंत्रण ऑडियो बनाकर मित्र और रिश्तेदारों को भेजा। सुबह वह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और जगह-जगह से फोन आने लगे। अब तक 200 से ज्यादा ऑडियो-वीडियो बना चुके हैं। इसी वजह से पिछले दिनों बिग बॉस के ऑडिशन के लिए भी बुलाया गया।

 

      मनोरजक बोली ने बनाया यूट्यूब स्टार 

 

कपिल कनपुरिया  उनके वीडियो में कानपुरिया अंदाज, यहां के रहन सहन, अनूठी बोली और व्यवहार की झलक दिखती है। जो भी वीडियो देखता है ठहाके लगाए बिना नहीं रह सकता।

शिवानी कुमारी, जो अपनी अलग तरह की बोली से लोगो का मनोरंजन किया और लोगो का बहुत प्यार पाया  बिग बॉस ओटीटी 3 की कंटेस्टेंट बनी