कानपुर के जागेश्वर मंदिर में आयोजित हुआ महा-दंगल, 300 वर्षों की है ये ऐतिहासिक परंपरा

कानपूर हमेशा से भोकाली खबरों के लिए मशहूर रहा है उसी कड़ी में आता है कानपुर के जागेश्वर मंदिर में होने वाला कुश्ती का महा-दंगल। पावन सावन के महीने में होने वाले इस कुश्ती के महा-संग्राम में पुरे देश क पहलवान आकर अपने शरीर और पैतरो  का दम दिखते है।  350 साल पूरानी परंपरा के अनुसार सावन माह के दूसरे सोमवार को यहाँ दंगल का आयोजन किया जाता है। इस साल हुए दंगल में 25 30 महाबलियों ने अपने पैतरो और ताक़त का भोकाली प्रदर्शन किया। सैकड़ो की भीड़ ने जागेश्वर मंदिर में अपनी मौजूदगी से समां बढ़ दिया।

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मज़ेदार और ज़ोरदार मुक़ाबलों ने जीता दिल

जागेश्वर मंदिर नवाबगंज में सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर महादंगल का आयोजन किया गया,

लकी थापा का पंजाब के पहलवानो पर केहर : नेपाल के अंतरराष्ट्रीय पहलवान लकी थापा ने पंजाब के पहलवानों के छक्के छुड़ा दिए। अंत में पंजाब के पहलवानों को अखाड़ा छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद लकी थापा ने अखाड़े से माइक लेकर चैलेंज कुश्ती के लिए पंजाब के पहलवानों को बुलाया, मगर कोई भी उसके आगे कुश्ती लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। लकी थापा से लड़ने के लिए 51 हजार का पुरस्कार रखा गया था। पंजाब के शमशेद मैदान छोड़कर मौके से भाग गया। यहीं हाल पंजाब के विक्की पहलवान का था।

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लाड़ी बाबा की कुश्ती को देखने के लिए बड़ी संख्या: 305 साल पुराने दंगल में हिमाचल प्रदेश के लाड़ी बाबा की कुश्ती को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लाडी बाबा की कुश्ती पंजाब के विक्की पहलवान से हुई। चारों तरफ लोग लाड़ी बाबा-लाड़ी बाबा के नारे लगा रहे थे। कुश्ती शुरू हुई तो विक्की ने लाड़ी बाबा का हाथ मोड़ कर उनको जमीन पर पटक दिया। इसके बाद जब लाडी बाबा ने पलटकर वार किया तो विक्की पहलवान उठ भी न सके। लाड़ी ने अपने बराबर से उठाया और एक ही पटकनी में विक्की को चित कर दिया। लाड़ी बाबा की इस कुश्ती में 55000 रुपए का इनाम रखा गया था।

जल्लाद ने प्रवीण को पटकनी दे डाली : राजस्थान के जल्लाद सिंह पहलवान ने सहारनपुर के प्रवीण पहलवान को धोबी पछाड़ पटकनी देकर 11000 का पुरस्कार जीता।

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कानपूर का जलवा रहा बरक़रार : कानपुर के महेंद्र पहलवान ने इटावा के धमाका पहलवान को अपनी पीठ पर उठाकर जमीन पर दयमारा। महिला कुश्ती में कानपुर की आरती निषाद ने बनारस की निधि सिंह को अखाड़े में पटक कर कुश्ती जीत ली।

पैतरों और ताक़त का नज़ारा :  सुल्तानपुर के जाहिद व दिल्ली ईशू के बीच छह मिनट तक कुश्ती चली, जो बराबर पर छूटी। गोंडा की शिवांगी ने इलाहाबाद की रोशनी को 4 मिनट तक चली कुश्ती में पराजित कर दिया। वहीं, नेपाल के लकी थापा ने राजस्थान के गोल्टा पहलवान को कंधे में रखकर जमीन पर पटक दिया। लकी थापा की जीत होते ही दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका जमकर उत्साह वर्धन किया।

कानपुर केसरी जलवा रहा बरक़रार

  कुश्ती में पिछले 10 सालों से कानपुर केसरी चुने जा रहे संजू पहलवान और विजय यादव के बीच कुश्ती हुई। दोनों के बीच काटे की टक्कर हुई। इसके बाद कुश्ती बराबर पर छूटी। यह कुश्ती करीब 7 मिनट तक चली।

क्रांतिकारियों को भी भाती थी यहाँ की कुश्ती

कार्यक्रम के आयोजक अवधेश श्रीवास्तव से बात हुयी तो उन्होंने बताया  कि यहां पर नानाराव पेशवा, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी समेत कई क्रांतिकारी कुश्ती का खेल खेल चुके है। बाबा दादा बताते थे की  अंग्रेजों के समय में यहां पर कुश्ती देखने के लिए लोग बड़ी दूर दूर से आते थे।

श्री जागेश्वर महादेव चैरिटेबल ट्रस्ट को अपनी मेहनत से आगे बढ़ाया है कौशल पांडेय

अवधेश श्रीवास्तव ने बताया कि 1945 में श्री जागेश्वर महादेव प्रबंध सभा की स्थापना हुई थी। आज से लगभग 22 साल पहले कौशल पांडेय ने अध्यक्ष पद पर अपनी सीट संभाली तो उन्होंने दंगल को बढ़ाने के लिए पहलवानों को प्रोत्साहित किया। पिछले 22 सालों से दिन पर दिन दंगल का स्वरूप बड़ा होता जा रहा है। उनके प्रयासों से ही आज यहां पर सैकड़ों की संख्या में पहलवान आते हैं। 1 अप्रैल 2021 को उनका निधन हो गया था। इस परंपरा को हम लोग आज भी चालू रखे हुए हैं और आगे भी इसी प्रकार से जारी रखेंगे।

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जागेश्वर मंदिर से ही होती है दंगल की शुरुआत 

साल का पहला दंगल जागेश्वर मंदिर से ही शुरू होता है। सावन के दूसरे सोमवार को यहां पर दंगल होने के बाद फिर पूरे प्रदेश में अलग-अलग दिन दंगल का आयोजन होने लगता है। कहीं पर गुड़िया वाले दिन तो कहीं रक्षाबंधन के दिन दंगल आयोजित किया जाता है।