क्यों जलने लगा है भारत का मणिपुर, सरकार क्यों चुप है?

Manipur Riots:मणिपुर में फैली हुयी हिंसा और अराजकता किसी को भी झकजोर सकती है। भारत हमारा देश है और मणिपुर उसका हिस्सा। देश के किसी भी राज्य में इतनी क्रूर हिंसा कभी नहीं देखि गयी है। पूरा देश इस हिंसा से घबराया हुआ है। इस हिंसा ने इतना विकराल रूप ले लिया है कि पुरे मणिपुर कि स्थिति देखने पर सीरिआ के किसी शहर जैसी लग रही है जहाँ मानवता कि निर्मम हत्या कि गयी हो। हाल ही में आया एक अमानवीय वीडियो भी काफी वायरल हुआ है  जो मणिपुर कि सुंदरता पर एक भद्दा दाग है। वहां के स्थानीय विधायक का घर तक नहीं बचा है इस हिंसा में उसे भी जला दिया गया है। फ़िलहाल राज्य में 40 हज़ार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. इससे समझा जा सकता है कि हालात कितने ख़राब हैं।

 

manipur riots

मणिपुर का इतिहास

मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में से एक है जिसकी सीमाएं म्यांमार के साथ जुड़ती है। इसका geographical विवरण जरुरी है क्युकी बहुत सी बातें इस पर निर्भर है। यहाँ की राजधानी इम्फाल है। मणिपुर में 16 जिले हैं और राज्य को “घाटी” और “पहाड़ी” जिलों में विभाजित किया गया है।

इंफाल घाटी राज्य के केंद्र में स्थित है और पहाड़ियों से घिरी हुई है। आपको जानकारी होगी की मणिपुर में रेलगाड़ियां नहीं चलती है। वहां पर आवागमन चार राजमार्ग से ही होता है।घाटी और पहाड़ी क्षेत्र में जातीय विषमताएं भी है। घाटी में रहते है मैतई समुदाय और पहाड़ी में अन्य जनताजियां जैसे कुकी नागा।

मणिपुर के घाटी में बसने वाले मैतेई समुदाय के लोग राज्य की आबादी का 64% से अधिक हैं और राज्य के 60 विधान सभा सदस्यों (एमएलए) में से 40 सदस्य हैं। यह घाटी मणिपुर के भूभाग का लगभग 10% हिस्सा है और इसमें गैर-आदिवासी मैतेई का वर्चस्व है।

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इस बीच, राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 90% हिस्सा बनाने वाली पहाड़ियों में लगभग 35% मान्यता प्राप्त जनजातियाँ निवास करती हैं, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व केवल 20 विधायकों द्वारा किया जाता है। आशा है आपको भौगोलिक संरचना समझ आगयी होगी। मैतेइयों में बहुसंख्यक हिंदू हैं, उसके बाद मुसलमान हैं और 33 मान्यता प्राप्त जनजातियाँ जिन्हें मोटे तौर पर “कोई भी नागा जनजाति” और “कोई भी कुकी जनजाति” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, मुख्य रूप से ईसाई हैं।

इस झगडे का बीज :

मैतेई समुदाय बहुत लम्बे समय से सरकार से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए गुहार लगा रही थी। अप्रैल 2023 को मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 10 साल पुरानी सिफारिश के आधार पर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने का निर्देश दिया।

3 मई को हुई जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाली। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ राज्य के 10 जिलों में यह मार्च निकाला गया। इस मार्च में कई जगहों पर हिंसा की खबरे सामने आयी। सेना और असम राइफल्स ने हिंसा पर काबू पाने के लिए फ्लैग मार्च को निकाला लेकिन हिंसा थमी नहीं। इस दौरान कर्फ्यू लागू हुआ, इंटरनेट सस्पेंड किया गया लेकिन न तो विरोध कम हुआ, न हिंसा थमी।

manipur people

मैतई समुदाय और कुकी समुदाय का विवाद आखिर है क्यों ?

कुकी समाज का विरोध : मणिपुर के कुकी और नागा आदिवासी, मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के खिलाफ हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि राज्य में उनकी जनसंख्या सबसे ज्यादा है और मैतेई समाज राजनीतिक रूप से काफी आगे होने के साथ ही शैक्षणिक दृष्टि से भी उनसे आगे हैं।
उनका तर्क है कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने से उनके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे। इसके अलावा ऐसा होने से मैदानी इलाकों में रहने वाले मैतेई समाज को पहाड़ी इलाकों में बसने और आदिवासियों को उनकी जमीन से हटाने का अवसर मिल जाएगा।
कुकी और नागा आदिवासियों का कहना है कि राज्य के 90 फीसद इलाके पर आदिवासी रहते हैं, लेकिन राज्य के बजट और विकास कार्यों का ज्यादातर हिस्सा मैतेई बहुल इंफाल घाटी में खर्च होते हैं। 

इंफाल घाटी बहुत ही उपजाऊ है, लेकिन यहां राज्य की सिर्फ 10 फीसद भूमि है, जबकि 90 प्रतिशत भूमि पहाड़ी है। राज्य में अलगाववाद का भी इतिहास रहा है और इन पहाड़ी इलाकों में अलगाववादियों के छिपने के लिए अच्छी खासी जगह मौजूद है। मणिपुर के कई जंगलों और पहाड़ी इलाकों को रिजर्व फॉरेस्ट और प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट घोषित कर दिया गया। इस साल फरवरी में जब सरकार ने इन इलाकों को आदिवासियों से खाली कराना शुरू किया तो इससे आदिवासी भड़क गए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह पीढ़ियों से इन इलाकों में रहते आ रहे थे। न सिर्फ कुकी समाज, जिस पर इसका सीधा असर पड़ रहा था, बल्कि अन्य आदिवासी भी इस कार्रवाई से नाराज हो गए। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी थी कि सरकार उन्हें उनकी पैतृक भूमि से निकालकर सम्मानजक तौर पर किसी अच्छी जगह नहीं बसा रही थी।

maitei people

 

मैतेई समुदाय की एसटी दर्जे की मांग: 2012 से, मणिपुर की अनुसूचित जनजाति मांग समिति (एसटीडीसीएम) के नेतृत्व में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की लगातार मांग की जा रही है। मीतेई (मीतेई) जनजाति संघ ने मणिपुर उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी और तर्क दिया था कि 1949 में भारत संघ के साथ मणिपुर रियासत के विलय से पहले मीतेई समुदाय को एक “जनजाति” के रूप में मान्यता दी गई थी और यह विलय के बाद एक जनजाति के रूप में अपनी पहचान खो दी। याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया था कि समुदाय को संरक्षित करने और उनकी पैतृक भूमि, परंपरा, संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए एसटी का दर्जा समुदाय को बढ़ाया जाना चाहिए। एसटीडीसीएम के अनुसार:

  • मैतेई समुदाय को बिना किसी संवैधानिक संरक्षण के प्रताड़ित किया गया है।
  •  वे धीरे-धीरे अपनी पैतृक भूमि में हाशिए पर चले गए हैं।
  • मैतेई समुदाय की जनसंख्या 1951 में मणिपुर की कुल जनसंख्या का 59% से घटकर 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 44% हो गई है।
  • मणिपुर के स्थानीय विधयाक का घर हिंसा कि भेट चढ़ा दिया गया।
  • महिलाओ को निशाना बनाया जारहा है क्युकि

मणिपुर में हालिया हालत 

  • मणिपुर में स्थिति अत्यधिक और हिंसक हो गई जिसके कारण भारतीय सेना और अन्य केंद्रीय पुलिस बलों की तैनाती देखी गई।
  • मणिपुर सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी जिला मजिस्ट्रेटों को “अत्यधिक मामलों” में ” देखते ही गोली मारने के आदेश ” जारी करने के लिए अधिकृत किया।
  • मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने 51 लोगों की जो शांति कमेटी बनाई है उसको लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
  • एक तरफ कुकी जनजाति की सर्वोच्च संस्था कुकी इंपी ने शांति समिति के गठन को खारिज किया है. वहीं, मैतेई समुदाय का नेतृत्व कर रही कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी ने इस शांति कमेटी में शामिल नहीं होने की घोषणा की है।
  • राज्य में हिंसा की वजह से आम लोगों को सुरक्षा संबंधी दिक़्क़तों के साथ महंगाई से भी जूझना पड़ रहा है। खाने-पीने की चीज़ों की क़ीमत में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हो गया है।
  • लोगों को दवाइयां मिलने में परेशानी हो रही है। चावल कई जगहों पर दो सौ रुपए किलो तक मिल रहा है।

modi on manipur

क्या कर रही है  सरकारे :

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने मणिपुर के दौरे पर कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अध्ययन किया जाएगा और सभी हितधारकों के साथ चर्चा की जाएगी और परामर्श के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।सेना ने मणिपुर और भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति पर निगरानी बढ़ाने के लिए हेरॉन मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं।

एक महीने से जारी हिंसा के बावजूद अब तक सार्वजनिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा है। कुकी जनजाति के सर्वोच्च छात्र निकाय कुकी छात्र संगठन ने इस पर नाराज़गी जताई है कि पीएम चुप हैं।

के ओनील कहते हैं कि “मैतेई और कुकी दोनों ही समुदाय के लोग इस बात से आहत हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर अब तक एक शब्द भी नहीं कहा है।”
निन्गोमबाम श्रीमा कहती हैं, “हां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी से निराशा तो है लेकिन लोगों में ज़्यादा ग़ुस्सा राज्य सरकार को लेकर है। ”